इतनी ख़ुशी इतनी बेखोफी इतनी ख़ुशी इतनी बेखोफी का इज़हार न कर राशीद वो साफ गलीया वो पत्थर के मकान आज भी है.. तनहा शायर हूं बात साथ इतनी बढ़ आती मुस्कान ख़ुशी मंज़िल ज़िंदगी सफ़र दौर शरारत

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