लग ना जाये हथकड़ी, तू और चार दिन नमाज़ पढ़ ले, वो ताला चाबी, और उस रास्ते पर पड़े तेरे निशां, आज भी है... लग ना जाये हथकड़ी, तू और चार दिन नमाज़ पढ़ ले, वो ताला चाबी, और उस रास्ते पर पड़े ...
डरता न था वो कुछ बोलने से पहले डरता न था वो कुछ बोलने से पहले
सिसकियां इतनी बढ़ गई हैं सिसकियां इतनी बढ़ गई हैं
हुआ क्या अब यूँ कि ख़ुशी में हासिल नहीं है वो हुआ क्या अब यूँ कि ख़ुशी में हासिल नहीं है वो
ग़मों को भूलकर जीते रहो ज़िंदगी का सुनहरा सफ़र। ग़मों को भूलकर जीते रहो ज़िंदगी का सुनहरा सफ़र।
ज़ुल्फ़ों में ना उलझाओ, थोड़ा-सा करीब आओ। ज़ुल्फ़ों में ना उलझाओ, थोड़ा-सा करीब आओ।